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उद्देश्य

  • उधोगों का विकास एवं उपयोग स्वावलंबी लोक सेवियों का तंत्र विकसित कराने के लिए करना.
  • जनमानस को श्रम करने में संकोच तथा नौकरी की मानसिकता से उबरना.
  • उद्यमी प्रवृत्ति एवं कौशल का विकास करना.
  • उद्यमी लोगों को कुटीर उधोगों - ग्रामोद्योग की ओर उन्मुख किया जाया क्योकि भारत जैसे देश में आम आदमी के अभाव मुक्ति को लिए जरुरी है.
  • स्वावलंबी उधोगों के तंत्र का विकास " सर्वे भवन्तु सुखीन:" की यज्ञीय मानसिकता के साथ करना .

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