Search This Blog

Sunday 27 September 2009

स्वावलंबन


"स्वावलंबन" प पु गुरुदेव द्वारा संचालित युग निर्माण योजना का ही एक अभियान है । युग निर्माण अर्थात युग परिवर्तन यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे मनुष्य के चिंतन , चरित्र , व्यवहार , जीवनशैली के साथ व्यवस्थाओं में भी परिवर्तन होना है । व्यक्ति निर्माण ही युग निर्माण है ; युग को बदलने से पहले हमें अपने आप को बदलना होगा । हमें साधारण जीवनशैली में उच्च आदर्शो को स्थापित करना होगा इसके लिए जरुरी है आत्मनिर्भरता । हमें अपने विचारों एवं ज्ञान पर विश्वास करके आदर्शों की रहा पर चलने का साहस स्वयं करना होगा यही स्वावलंबन है । स्वावलंबन अभियान के संचालन से पूर्व इसके अर्थ को सविस्तर समझकर स्वावलंबन के उद्देश्य की पूर्ति के लिए रीती निति बनानी होगी ।
गुरुदेव की दृष्टी में स्वावलंबन का अर्थ है आत्मनिर्भरता ; हमें अपने विचरों पर निर्भर होना चाहिए हम किसी के सामने हाथ न फैलाये हम अपनी मदत स्वयं करें ओउर अब इसे पूरा करना है । गुरुदेव ने स्वावलंबन के लिए कोशोरावस्था में ही आवलखेदा में बुन्ताघर की स्थापना की थी युग निर्माण योजना के अर्न्तगत स्वावलंबन के प्रशिक्षण का पहला प्रयोग गायत्री तपोभूमि मथुरा में प्रारम्भ किया तथा युग निर्माण विद्यालय की स्थापना की । गुरुदेव कहते थे " में लोक सेवियों की एक नई पीढी तयार करना चाहता हूँ जो भिक्षाजीवी नही , उधोगजीवी हो " इस लिए एक मासीय सत्र में प्रशिक्षनार्थी को कुछ बनाना सिखाने की अपेक्षा स्वावलंबन की वृत्ति ओउर उसके अनुरूप गुणों का विकास किए जाता है । अब संपूर्ण राष्ट्र में यही प्रयोग स्वावलंबन के रूप में चलाना है । गुरुदेव के जन्म शताब्दी वर्ष की सच्ची स्राधांजलि होगी ।


    युग ऋषि पं श्री राम शर्मा आचार्य ने स्वावलंबन को अनिवार्य रूप से श्रमशीलता से जोड़ा है और कहा है की " स्वावलंबन का उद्देश्य कुटीर उधोगों , गृह उद्दोगों तथा अन्य तरीके से अर्थोपार्जन तक सिमित नही है , अपितु ऐसी राष्ट्रव्यापी मानसिकता का निर्माण करना है , जो श्रम कराने में संकोच ना करें बल्कि श्रम की प्रतिष्ठा को स्वयं की पतिस्था मने । " इसी के आधार पर व्यक्ति , परिवार , समाज और राष्ट्र स्वावलंबी बन सकेगा ।

    a) श्रमशीलता की गरिमा समझी एवं समझाई जाए ।

    b) प्रेरणा के लिए महान पुरुषों के उदाहरण एवं भारतीय दर्शन की जानकारी करना व करना होगा ।

    c) श्रम स्वेछा पूर्वक किया जाना चाहिए


    क्रियान्वयन तंत्र ( Implementing Agency )


    स्वावलंबन के लिए जनता का अपना सामाजिक तंत्र खडा करना होगा जिसकी आधारशिला निम्न सूत्र होंगे ।

    व्यक्तिगत आवश्यकता के लिए स्वावलंबन
    ( व्यक्ति निर्माण एवं परिवार निर्माण के लिए )

    १) श्रमशीलता ( श्रम की साधना )

    २) अर्थ संयम ( अर्थ साधना )

    ३) सामूहिकता ( समूह ) की भावना

    ४) उपयुक्त ( सही ) तकनीक

    ५) स्वयं की योजना

    सामुदायिक कार्यों के लिए स्वावलंबन

    ( समाज एवं राष्ट्र निर्माण के लिए )

    १) श्रमदान

    २) अंशदान

    ३) सहयोग की भावना

    ४) स्थानीय अनुकूलता अनुसार तकनीक

    ५) विकेंद्रिय प्रणाली पर आधारित जन साधारण की योजना ( SHG आदि )

    स्वावलंबन हेतु प्रशिक्षण

    स्वावलंबन हेतु 2 स्तर के प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी
    1) प्रशिक्षक - प्रशिक्षण सत्र ।
    2) ग्रामीणों तथा स्वावलंबन का इछुक युवाओं के लिए प्रशिक्षण सत्र ।

    प्रशिक्षण देनेकेलिये शांतिकुंज की मदत ले सकते है या युवा प्रकोष्ठ भो सहयोग करेगा
    प्रशिक्षक प्रशिक्षण हेतु वे परिजन सहभाजी होंगे जिन्होंने एक मासिया युगशिल्पी सत्र किया हो अथवा समाज सेवा की भावना हो
    लिखना है धन्यवाद !

    Translate